गुरुवार, 7 जनवरी 2016
कड़े फैसले
आज कड़े फैसले लेने होंगे,
कुछ अनचाहे निर्णय लेने होंगे।
करते जो छद्म वार ,बार बार हम पर ।
मांद में घुस कर, वो भेड़िये खदेड़ने होंगे ।
आज कड़े फैसले .....
अब न समझो ,न समझाओ।
अब तो ,आर पार हो जाओ।
जाकर दुश्मन के द्वार,
ईंट से ईंट बजा आओ।
आज कड़े....
कितना खोयें अब हम,
अपनी माँ के लालों को।
कितना पोछें और सिंदूर हम,
अपनी बहनों के भालों से।
सूनी आँखे ,सुना बचपन,
ढूंढ रही पापा आएंगे कल।
देखो उस अबोध बच्ची को,
कांधा देती शहीद पिता की अर्थी को।
आज कड़े ....
यूं चाय पान से कोई माना होता ।
तब धनुष राम ने न ताना होता ।
चक्र कृष्ण ने भांजा होता ।
बन जाओ राम कृष्ण तुम भी।
जागो अब भी ,चेतो अब भी देर नहीं
उठा धनुष चढ़ा प्रत्यंचा, दे टंकार कहो ,
दुश्मन तेरी अब खैर नहीं ।
आज कड़े फैसले लेने होंगे ....
...."निश्चल" विवेक दुबे.........
दुबे विवेक पर 12:24 am
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कड़े फैसले
आज कड़े फैसले लेने होंगे,
कुछ अनचाहे निर्णय लेने होंगे।
करते जो छद्म वार ,बार बार हम पर ।
मांद में घुस कर, वो भेड़िये खदेड़ने होंगे ।
आज कड़े फैसले .....
अब न समझो ,न समझाओ।
अब तो ,आर पार हो जाओ।
जाकर दुश्मन के द्वार,
ईंट से ईंट बजा आओ।
आज कड़े....
कितना खोयें अब हम,
अपनी माँ के लालों को।
कितना पोछें और सिंदूर हम,
अपनी बहनों के भालों से।
सूनी आँखे ,सुना बचपन,
ढूंढ रही पापा आएंगे कल।
देखो उस अबोध बच्ची को,
कांधा देती शहीद पिता की अर्थी को।
आज कड़े ....
यूं चाय पान से कोई माना होता ।
तब धनुष राम ने न ताना होता ।
चक्र कृष्ण ने भांजा होता ।
बन जाओ राम कृष्ण तुम भी।
जागो अब भी ,चेतो अब भी देर नहीं
उठा धनुष चढ़ा प्रत्यंचा, दे टंकार कहो ,
दुश्मन तेरी अब खैर नहीं ।
आज कड़े फैसले लेने होंगे ....
...."निश्चल" विवेक दुबे.........
दुबे विवेक पर 12:24 am
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