गुरुवार, 12 जुलाई 2018

दोहे 14 से 16

14
राधा बड़ है भागनी, नटखट है घनश्याम।
 बाजत कान्हा बाँसुरी, स्वर बोलें राधा नाम।
15
लालच लालसा चोरी,स्वार्थ बंधी सब डोरी ।
 छोड़ स्वार्थ हो जाए दुनियाँ कोरी की कोरी ।
16
 रच निस्वार्थ भाव से जीवन फिर तू अपना ,
 खेल श्याम सँग प्रेम प्रीत की तू तब होरी ।
  ..... विवेक दुबे"निश्चल"©.......

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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