14
राधा बड़ है भागनी, नटखट है घनश्याम।
बाजत कान्हा बाँसुरी, स्वर बोलें राधा नाम।
15
लालच लालसा चोरी,स्वार्थ बंधी सब डोरी ।
छोड़ स्वार्थ हो जाए दुनियाँ कोरी की कोरी ।
16
रच निस्वार्थ भाव से जीवन फिर तू अपना ,
खेल श्याम सँग प्रेम प्रीत की तू तब होरी ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"©.......
राधा बड़ है भागनी, नटखट है घनश्याम।
बाजत कान्हा बाँसुरी, स्वर बोलें राधा नाम।
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लालच लालसा चोरी,स्वार्थ बंधी सब डोरी ।
छोड़ स्वार्थ हो जाए दुनियाँ कोरी की कोरी ।
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रच निस्वार्थ भाव से जीवन फिर तू अपना ,
खेल श्याम सँग प्रेम प्रीत की तू तब होरी ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"©.......
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