गुरुवार, 12 जुलाई 2018

3 दोहे

एक प्रयास दोहे लेखन

11
नभ सूना बदली बिना ,
 भू को जा की आस ।
  तू सागर से नीर ला ,
 मिटे धरा की प्यास ।
12
सागर चुप हो देखता ,
 भरत न  बदली पेट ।
 नयना रोत किसान के ,
  भरे न बदली पेट ।
13
 ना जागे यदि नींद से , 
  मिट जाएगा अंश ।
  सहजा नही यदि वृक्ष को ,  
  नहीं बचेगा वंश ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...


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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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