एक प्रयास दोहे लेखन
11
नभ सूना बदली बिना ,
भू को जा की आस ।
तू सागर से नीर ला ,
मिटे धरा की प्यास ।
12
सागर चुप हो देखता ,
भरत न बदली पेट ।
नयना रोत किसान के ,
भरे न बदली पेट ।
13
ना जागे यदि नींद से ,
मिट जाएगा अंश ।
सहजा नही यदि वृक्ष को ,
नहीं बचेगा वंश ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
11
नभ सूना बदली बिना ,
भू को जा की आस ।
तू सागर से नीर ला ,
मिटे धरा की प्यास ।
12
सागर चुप हो देखता ,
भरत न बदली पेट ।
नयना रोत किसान के ,
भरे न बदली पेट ।
13
ना जागे यदि नींद से ,
मिट जाएगा अंश ।
सहजा नही यदि वृक्ष को ,
नहीं बचेगा वंश ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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