24
नयन समाये हैं साजन, मन बन आस चकोर ।
दूर देश प्रियवर है,मन तड़फत बिन तोर ।
25
सजनी साधे बड़ी आस,अंतर मन भरी प्यास ।
डोले मन पिया मिलन, राह तके भरे नयन ।
26
आओ प्रियवर देर भई, साँझ भई भोर गई।
रजनी सँग चँदा आया, तूने मोहे बिसराया ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"..
नयन समाये हैं साजन, मन बन आस चकोर ।
दूर देश प्रियवर है,मन तड़फत बिन तोर ।
25
सजनी साधे बड़ी आस,अंतर मन भरी प्यास ।
डोले मन पिया मिलन, राह तके भरे नयन ।
26
आओ प्रियवर देर भई, साँझ भई भोर गई।
रजनी सँग चँदा आया, तूने मोहे बिसराया ।
..... विवेक दुबे "निश्चल"..
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