शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

दिगपाल छंद

दिग्पाल छंद

2212 122 2212 122

बंशी बजा रहे हैं  ,
        कान्हा करें ठिठोली ।
बंशी छुपा रही हैं  ,
       राधा करें मिचौली ।

राधा कहाँ पुकारे ,
          मोहे रहे बिसारे ।
कान्हा छुपा किनारे ,
          बंशी लिये निहारे ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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