903
रिश्ते खून के कभी दूर नही होते ।
रिश्तों में कभी क़सूर नही होते ।
झुकतीं है शाखें फूलों के बजन से,
दरख़्तों को गुमां मंजूर नही होते ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
904
दर-ओ-दीवारों के नक्स बदलते हैं ।
मेरे अपनों के ही अक़्स बदलते हैं ।
थिरकते है अपनी ही साज-ओ-आवाज़ पे,
यूँ जिंदगीयों के अब रक़्स बदलते हैं ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
905
बस एक बात ये ही सही है ।
हर बात बस दिल से कही है ।
हो रहा क्युं खुदगर्ज़ जमाना ,
क्यूँ अपनों में दूरियाँ हो रहीं है ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
906
चलते रहे सँग वो दीवाने बहाने से ।
रूह लिए सँग दो जिस्म पुराने से ।
खिलते रहे अश्क़ फ़ूल बनकर ,
मिलकर अपनी ही पहचानों से ।
...निश्चल..
907
रुख हवा के साथ चला चल ।
खुद फ़िज़ा से हाथ मिला चल ।
बहकर सँग दर्या की धार में ,
जीत ज़ज्बात को दिला चल ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
908
सहज सरल हरदम दिखना होगा ।
जीवन को जीवन में टिकना होगा ।
उजली आशाओं के उजियारो में ,
स्वप्नों को भोर तले बिकना होगा ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
909
मेरे गुनाहों की मुझे यूँ सज़ा न देना ।
मेरे अपनो से तू कभी जुदा न देना ।
मिटती नही लकीरें हाथ से रिश्तों की,
अक़्स रिश्ते नातों के मिटा न देना ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
910
वो जो मेरे साया से ।
सँग चलते छांया से।
छूट रहे है कुछ पीछे ,
कुछ अपना पराया से ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 7
Blogpost 11/2/21
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