927
जीवन को पौरुष से भरना होगा ।
साँस साँस में साहस धरना होगा ।
नही कही अब चूक जरा भी हो ,
तुझको पूरे की ख़ातिर लड़ना होगा ।
...."निश्चल"@..
928
होंसले नये जगाने होंगे ।
फिर कदम उठाने होंगे ।
गढ़कर मंजिल एक नई ,
सफ़र नये सजाने होंगे ।
चलता चल रहा पे तू राही ,
राह के कही तो मुहाने होंगे ।
न रख अरमान अपनो से ,
गैर ही तेरे दीवाने होंगे ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
929
शायद वक़्त की अब यही चाहत होगी ।
होगा वो जिसकी मुझे न आदत होगी ।
जीत लूँगा मैं फिर भी अपने आपको ,
हारने की न मुझे कोई मलालत होगी ।
......विवेक दुबे"निश्चल"@...
930
ख़ुद से ख़ुद फिर अब मुलाक़ात करते है।
चल ज़िंदगी फिर नई शुरुआत करते है।रहे मन ममोश खामोश साथ चलकर भी,
अब दिल-ओ-जज़्बात से बात करते है ।
चल ज़िंदगी फिर नई शुरुआत करते है ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@....
931
तम हरने की आशा में ,
नित एक दीप जलाता मैं ।
चाहे न हो उजियारा भानू सा ,
किरणों से आशा पाता मैं ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 7
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