916
जीवन मूल्य बदलते है ।
साँझ तले सब ढलते है ।
नव प्रभात की किरणों में,
तब नव आयाम उजलते है ।
....."निश्चल"@....
917
रिश्ते भी जब न टिकते हो ।
स्वर्थ तले ही सब बिकते हो ।
मर्यदा कैसी तब सम्बन्धों की,
स्वांग सभी जब लिखते हो ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@ ...
918
मुझे मुस्कुराने का तरीका न आया ।
जिंदगी जीने का सलीका न आया ।
मैं करता रहा ऐतवार अपने ईमान पर ,
पर जमाने को मुझ पे अक़ीदा न आया ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@...
919
ख़ामोश ख्यालों को जुबां दे गई तेरी ग़जल ।
कुछ लिखने की बजह दे गई तेरी ग़जल ।
ढूंढ़ता ही रहा मंजिल दिन के उजालों में ,
राह में चलने को जगह दे गई तेरी ग़जल ।
...."निश्चल"@....
920
मैं उदास क्यो मुझको पता नही ।
जिंदगी आस को ढो रही है कही ।
जीवन की इस भूल भुलैया में ,
शायद खुशियाँ खो रही है कही ।
.....विवेक "निश्चल"@...
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