बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

साल बदलता है ।

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कहने को तो साल बदलता है ।

नही कहीं कोई हाल बदलता है।

है सूरज आज भी कल जैसा ,

नही भोर का उजाल बदलता है ।

चल रहा है सब कुछ बेसा ही,

न कोई दिल मलाल बदलता है ।

 चल रही है परेशां ज़िंदगी सुकूँ से,

नही कही कोई बे-हाल बदलता है ।

चलते चलो आज भी सफर पर,

 उम्मीद का न ये निहाल बदलता है ।

आयेगा उजाला स्याह काट कर,

 न "निश्चल" का ये ख़्याल बदलता है ।

     ....विवेक"निश्चल"@..


डायरी 7

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