बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

रंग खुशी का मिलाया जाए

 788

ग़म के दर्या में रंग खुशी का मिलाया जाये ।

क्युँ न इंसान को इंसान से मिलाया जाये ।

दूर हो जाये अदावत तब कोई बात बने ,

क्युँ न सभी को अब अपना बनाया जाये ।

एक टीस है दिलों में के मिटती ही नही ,

क्युँ न प्यार का अब मरहम लगाया जाये ।

....."निश्चल"@..

डायरी 7

Blog post 10/2/21

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...