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ग़म के दर्या में रंग खुशी का मिलाया जाये ।
क्युँ न इंसान को इंसान से मिलाया जाये ।
दूर हो जाये अदावत तब कोई बात बने ,
क्युँ न सभी को अब अपना बनाया जाये ।
एक टीस है दिलों में के मिटती ही नही ,
क्युँ न प्यार का अब मरहम लगाया जाये ।
....."निश्चल"@..
डायरी 7
Blog post 10/2/21
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