932
मस्ती से हर सफर कट जाएगा ।
खुशियों से आँचल सट जाएगा ।
मिलेंगे सफ़र पे हमसफ़र नये ,
गुबार यादों का भी हट जाएगा ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
933
संकट का ये सफरभी कट जाएगा ।
दौर खुशियों का फिर नया आएगा ।
जीत लूँ साहस संयम से अपने आप को ,
ये समय भी काल के गाल में समा जाएगा ।
...."निश्चल"@...
934
एक किस्मत ये है इंसान की ।
एक किस्मत वो है इंसान की ।
मिलता रहा सब उसे मुकद्दर से ,
एक मोहताज रही पहचान की ।
...."निश्चल"@....
935
आधार तलाशती आशाएँ ।
कुछ शब्द बोलती भाषाएँ ।
अपने अपने हित की ख़ातिर,
बदल रही है कुछ परिभाषाएँ ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@.
936
उठ गया भरोषा इंसान की इंसानियत से ।
मिलाता नही निगाह कोई नेक नियत से ।
बदलता रंग जमाना सुबह से शाम तक,
होती है सियासत आज यहाँ तबियत से ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी7
Blogpost 20/2/21
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