शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

मुक्तक 932/36

 932

मस्ती से हर सफर कट जाएगा ।

 खुशियों से आँचल सट जाएगा ।

 मिलेंगे सफ़र पे हमसफ़र नये ,

गुबार यादों का भी हट जाएगा ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@...

933

 संकट का ये सफरभी कट जाएगा ।

दौर खुशियों का फिर नया आएगा ।

जीत लूँ साहस संयम से अपने आप को ,

ये समय भी काल के गाल में समा जाएगा ।

...."निश्चल"@...

934

 एक किस्मत ये है इंसान की ।

एक किस्मत वो है इंसान की ।

मिलता रहा सब उसे मुकद्दर से ,

एक मोहताज रही पहचान की ।

...."निश्चल"@....

935

आधार तलाशती आशाएँ ।

कुछ शब्द बोलती भाषाएँ ।

अपने अपने हित की ख़ातिर,

बदल रही है कुछ परिभाषाएँ ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@.

936

उठ गया भरोषा इंसान की इंसानियत से ।

मिलाता नही निगाह कोई नेक नियत से ।

बदलता रंग जमाना सुबह से शाम तक,

होती है सियासत आज यहाँ तबियत से ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@..


डायरी7

Blogpost 20/2/21


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