बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

मैं सही नही या

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मैं सही नही या ज़माना सही नही है ।

दिल ने दिल से एक ये बात कही है ।

घूम रहे है झूठ के इर्द गिर्द सभी ,

लगती एक बात मुझे यही सही है ।

खो गया इंसान खुदगर्ज़ ज़माने में ,

चाहतों में चाहतें नही दिख रही है ।

 चले है गैर तक चाहतों की चाह में ,

 देखो अपने भी तो आस पास यही है ।

दौड़ है मंजिल की तलाश में"निश्चल",

 रास्ता है नया पर मंजिल तो बही है ।

....विवेक"निश्चल"@ ....

डायरी 7


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