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मैं सही नही या ज़माना सही नही है ।
दिल ने दिल से एक ये बात कही है ।
घूम रहे है झूठ के इर्द गिर्द सभी ,
लगती एक बात मुझे यही सही है ।
खो गया इंसान खुदगर्ज़ ज़माने में ,
चाहतों में चाहतें नही दिख रही है ।
चले है गैर तक चाहतों की चाह में ,
देखो अपने भी तो आस पास यही है ।
दौड़ है मंजिल की तलाश में"निश्चल",
रास्ता है नया पर मंजिल तो बही है ।
....विवेक"निश्चल"@ ....
डायरी 7
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