शनिवार, 30 सितंबर 2017

विजय दशमी


-------- विजय दशमी की मंगल बधाई सहित   ------

 छाया अधर्म का अंधकार था।
  धरा पर बढ़ा बहुत भार था।
  आए तब श्री हरि धरा पर,
  लिया मनुज अवतार था ।

         जीतकर।    आसुरी शक्ति को,
          दानवता का किया विनाश था।
           सुखाया     उसकी नाभि को ,
            जिसका अमृत आधार था ।

वेशक वो रावण था महा ज्ञानी ,
  पर वो रावण था अभिमानी ।
 समझाया भ्रात विभीषण ने,
 भार्या मन्दोदरी की भी न मानी।

       हुआ बिनाश उसके समूलकुल का,
       कैसा था वो    अभिमानी ज्ञानी ।
      अभिमान का हश्र यही देती सन्देश,
      रावण वध की        यही कहानी ।
 
  ....... विवेक दुबे ©....

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