पाखंड / भक्ति
उसके वो भक्त बड़े बोले थे ।
उसे आस्था से ईस्वर बोले थे ।
करते नतमस्तक दंड प्रणाम,
भक्ति के सारे स्वर घोले थे ।
लुटते रहे आस्था के नाम पर ।
समर्पित रहे अपने भगवान पर ।
अटल हिमालय से खड़े रहे ,
अपने ईस्वर वाणी वाण पर ।
वो छद्मवेशी नही भोला था ।
भक्तो के मन पाखंड घोला था ,
आस्था भक्ति की आड़ में,
पहने पाखंड का वो चोला था ।
.....विवेक दुबे.....
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