शनिवार, 30 सितंबर 2017

जरा अवस्था


...वो जरा अवस्था...
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वो जर जर सूखी आँखे,
 डूबी गुजरी यादों में ।
 वो जर जर रूखी चमड़ी,
  गुजरी यादों में उधड़ी ।
 वो जर जर ह्रदय स्पंदन,
 यादों का करता वन्दन।
 वो जर जर रक्त शिराओं में,
 थमता सा गुजरी आहों में।
 वो जर जर साँसे साँसों में,
 बस इतना ही नाता साँसों से ।
  ..... विवेक दुबे....©

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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