...वो जरा अवस्था...
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वो जर जर सूखी आँखे,
डूबी गुजरी यादों में ।
वो जर जर रूखी चमड़ी,
गुजरी यादों में उधड़ी ।
वो जर जर ह्रदय स्पंदन,
यादों का करता वन्दन।
वो जर जर रक्त शिराओं में,
थमता सा गुजरी आहों में।
वो जर जर साँसे साँसों में,
बस इतना ही नाता साँसों से ।
..... विवेक दुबे....©
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