गुरुवार, 28 सितंबर 2017

वक़्त


वक़्त बड़ा हुनरदार है ।
सबसे बड़ा किरदार है। 
 करता है हिसाब सबका,
 रखता नही कभी उधार है ।
  ....विवेक दुबे....


वक़्त बड़ा बेरहम है ।
 करता हर ग़म कम है ।
 जीतता है उसे बड़े प्यार से,
 जो ग़म में जिया करता है ।
.....विवेक दुबे...


तन्हाई की वहाँ कमी नही थी।
 *पलकों पे नमी* जरा नही थी ।
 हँसता था वो अपने आप पे,
 वक़्त से बड़ी तन्हाई नही थी।


चला आखरी साँस तक,
 लड़ता गया हालात से ।
 शतरंज की चालों में ,
 प्यादे को औकात क्या ।


          ....... विवेक दुबे©.....

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