वक़्त बड़ा हुनरदार है ।
सबसे बड़ा किरदार है।
करता है हिसाब सबका,
रखता नही कभी उधार है ।
....विवेक दुबे....
वक़्त बड़ा बेरहम है ।
करता हर ग़म कम है ।
जीतता है उसे बड़े प्यार से,
जो ग़म में जिया करता है ।
.....विवेक दुबे...
तन्हाई की वहाँ कमी नही थी।
*पलकों पे नमी* जरा नही थी ।
हँसता था वो अपने आप पे,
वक़्त से बड़ी तन्हाई नही थी।
चला आखरी साँस तक,
लड़ता गया हालात से ।
शतरंज की चालों में ,
प्यादे को औकात क्या ।
....... विवेक दुबे©.....
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