शनिवार, 30 सितंबर 2017

हँसी रिश्तों में


  रिश्तों में  यह हँसी बड़ी चीज है ।
 बिके बिना खरीदती हर चीज है  ।
 .

ख़यालों के लिए ही सही।
 दिल बहलाने के लिए सही।
झूठ को सच मान एक पल को,
 कड़वा सच झुठलाने को सही।

  अधूरा ही जीना होता है
  कब कौन पूरा होता है ।
   क्या खोया क्या पाया तूने ,
   कोई पूछने न आया होता है ।

 कुछ पल फिर सवार लो।
 जिंदगी को फिर पुकार लो।
 जीते रहे इल्ज़ामों को लिए,
 एक इल्ज़ाम और उधर लो ।


 

..... विवेक दुबे " निश्चल"@   .....

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