शनिवार, 30 सितंबर 2017

तन्हाई


तन्हाई की वहाँ कमी नही थी।
 पलकों पे नमी जरा नही थी ।
 हँसता था वो अपने आप पे,
 वक़्त से बड़ी तन्हाई नही थी।
  .....विवेक दुबे....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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