दर्द है जो बयाँ होता है तेरी बातो से ।
हारता है क्यों वक़्त के इन हालातों से ।
वो भी गुजर गया यह भी गुज़र जाएगा ।
बच न सका कोई वक़्त के इन हाथों से ।
ठहर जरा सब्र कर अपने हालातों पे ,
संवरेगा फिर वक़्त अपने ही हाथों से ।
उजडता है गुलशन मौसम के मिज़ाज़ों से ,
सजाता है फिर बही अपनी ठंडी फ़ुहारों से ।
......विवेक दुबे©......
ब्लॉग पोस्ट 28/9/17
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