रविवार, 29 जुलाई 2018

वंदना

हे माँ ज्ञानदा ,हे माँ ज्ञानदा ,
ज्ञान दे माँ , ज्ञान दे माँ ।

 हर तिमिर अज्ञान माँ ।
 दे ज्ञान प्रभा वरदान माँ ।

 है ब्रम्हाणी सकल ब्रम्हांड माँ ,
 भर शब्द सकल भंडार माँ ।

 नित नव लेखनी श्रृंगार माँ ।
 दे वाणी का वरदान माँ ।

 हो दूर तम अभिमान माँ ।
पाऊँ दीप्ती स्वाभिमान माँ

 ज्ञान दे माँ , हे ज्ञानदा माँ ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...