रविवार, 29 जुलाई 2018

वंदना

 412
प्रचण्ड मुंड नंदनी ।
 असुर शीश खंडनी ।

 महा पाप भंजनी ।
  महा देव वंदनी । 

 सहस्त्र कोटि भानु सम ,
 दिव्य तेज धरणी ।

पाप के विनाश को ,
महामाया रजनी ।

श्वेत वस्त्र धार के ,
 महाज्ञान प्रकाशनी  ।

 नमामि देवी नमोस्तुते ,
 अशेष ज्ञान प्रदायनी ।

..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 5(1)

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...