एक बीज अनोखा होगा ।
गर्भ धरा में सोता होगा ।
पा कर ताप गर्भ धरा से ,
सृजित प्राण होता होगा ।
फिर निष्प्राण काया ने ,
फिर जीव गढ़ा होगा ।
साँसों के स्पंदन ने ,
चेतन आभास भरा होगा ।
पा स्नेहिल आलिंगन को ,
फिर आकार गढ़ा होगा ।
सहकर हर मौसम को ,
फिर वो वृक्ष बना होगा ।
अपनी ही शाखों पे ,
फिर बीज गढ़ा होगा ।
बार बार सृस्टि का ,
यही क्रम चला होगा ।
एक बीज अनोखा होगा ।
गर्भ धरा में सोता होगा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
Blog post 3/8/18
गर्भ धरा में सोता होगा ।
पा कर ताप गर्भ धरा से ,
सृजित प्राण होता होगा ।
फिर निष्प्राण काया ने ,
फिर जीव गढ़ा होगा ।
साँसों के स्पंदन ने ,
चेतन आभास भरा होगा ।
पा स्नेहिल आलिंगन को ,
फिर आकार गढ़ा होगा ।
सहकर हर मौसम को ,
फिर वो वृक्ष बना होगा ।
अपनी ही शाखों पे ,
फिर बीज गढ़ा होगा ।
बार बार सृस्टि का ,
यही क्रम चला होगा ।
एक बीज अनोखा होगा ।
गर्भ धरा में सोता होगा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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