दोहे
अम्बर खोजे बादरा , खोजे धरा आकाश ।
रितु मिलन की चाह में ,जागे धरती प्यास ।
......
सावन के मधु मास में , अधरन मीठे गीत ।
झूला झूले साँवली , मीठी पिया को प्रीत ।
....
नीरव सा मन राखियो, नीरव है प्रकाश ।
गहन निशा के जात ही , होता है प्रभात ।
...
रात रहे न दिन रहे,एक गुजरे एक आय ।
सांस चलत है प्राण में,देह लिए लिपटाय ।
....
प्रीत है नही चाह में, कैसी जग की रीत ।
परमारथ की हार से , स्वारथ रहा जीत ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
Bolg post 31/7/18
अम्बर खोजे बादरा , खोजे धरा आकाश ।
रितु मिलन की चाह में ,जागे धरती प्यास ।
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सावन के मधु मास में , अधरन मीठे गीत ।
झूला झूले साँवली , मीठी पिया को प्रीत ।
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नीरव सा मन राखियो, नीरव है प्रकाश ।
गहन निशा के जात ही , होता है प्रभात ।
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रात रहे न दिन रहे,एक गुजरे एक आय ।
सांस चलत है प्राण में,देह लिए लिपटाय ।
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प्रीत है नही चाह में, कैसी जग की रीत ।
परमारथ की हार से , स्वारथ रहा जीत ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
Bolg post 31/7/18
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