बुधवार, 1 अगस्त 2018

लक्ष्य उसी ने पाया है

लक्ष्य उसी ने बस पाया है ।
जो आगे आगे चल पाया है ।
 देखो भोर मुहाने पर , 
दिनकर ही पहले आया है ।

 रजनी के दामन में छुपने से पहले ,
 संध्या को भी ललचाया है ।
 दिनकर ही पहले आया है ।

 जो चँदा आता कुछ चलकर ,
 सूरज का हम साया कहलाया है ।
 लक्ष्य उसी ने बस पाया है ।
 जो आगे आगे चल पाया है ।

 पवन चली तरल बन के ,
 खुशबू का झोंका आया है ।
 वो फ़ूल बाद नजर आया है ।
 लक्ष्य उसी ने बस पाया है ।

 अंबर बून्द चली मिलने धरती को ,
 रजः कण ने श्रृंगार उठाया है ।
 गर्भ धरा ने तो फिर पाया है ।
 लक्ष्य उसी ने बस पाया है ।
 आगे आगे जो चल पाया है ।

 ना सोच जरा तनिक विश्राम नही ,
 दिनकर तो हर दिन ही आया  है ।
  ठहर नही चलता चल राहों पर ,
  तूने खुद को क्यों बिसराया है ।

लक्ष्य उसी ने बस पाया है ।
जो आगे आगे चल पाया है ।
 देखो भोर मुहाने पर , 
दिनकर ही पहले आया है ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
Blog post 1/8/18
डायरी 5(54)

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