छूट न सका वो, तीर कमान से।
टूट गई कमान,स्वाभिमान से ।
तीर चढ़ाया ज्यों धनुष पर,
रावण ने हुँकार भरी ।
रावण बोला हँसकर ,
तुझमे राम सी बात नही ।
टूट गया वो धनुष,
खुद इतना सुनकर ।
बोला रावण तूने,
सच्ची बात कही ।
..... विवेक दुबे....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें