गुरुवार, 26 जुलाई 2018

तलाशता रहा

तलाश


अजनवी शहर में ,
चाहत को तलाशता रहा ।

सितारों भरी रात में ,
चाँद को तलाशता रहा ।

रहा सफ़र हर मुकम्मिल,
 उसका यूँ तो मगर ,

सफ़र-दर-सफ़र मंजिल को ,
 तलाशता रहा ।

...... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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