मैं असमां पे ठहरे बादल सा ।
तू झोंका मस्त पवन सा ।.
उड़ा ले चल साथ मुझे ,
बरस जाऊँ मैं सावन सा ।
...
सावन की बदरी सी तू आई ।
पवन मन ने ली अंगड़ाई ।
उड़ा ले चलूं तुझे दूर कहीं ,
खो जाए तुझमे मेरी तन्हाई ।
बरसे बून्द बून्द सी फिर तू ,
तप्त पवन मन शीतलता छाई ।
अस्तित्वहीन हो जाऊँ वहाँ मैं ,
साथ चले जो तू बन मेरी परछाई ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
Blog post 22/7/18
तू झोंका मस्त पवन सा ।.
उड़ा ले चल साथ मुझे ,
बरस जाऊँ मैं सावन सा ।
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सावन की बदरी सी तू आई ।
पवन मन ने ली अंगड़ाई ।
उड़ा ले चलूं तुझे दूर कहीं ,
खो जाए तुझमे मेरी तन्हाई ।
बरसे बून्द बून्द सी फिर तू ,
तप्त पवन मन शीतलता छाई ।
अस्तित्वहीन हो जाऊँ वहाँ मैं ,
साथ चले जो तू बन मेरी परछाई ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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