ना रहे याद हम ,
आज अंजानों से ।
हसरतों की चाहत में ,
खो गए पहचानों से ।
रीतते ज्यों नीर से ,
नीरद असमानों से ,
बरसने की चाह में ,
ग़ुम हुए निशानों से ।
घिरती रही जिंदगी ,
अक़्सर उलाहनों से ।
होती रही लाचार ,
घिरकर फ़सानो से ।
घटते नही आज,
फांसले दिल के ,
रिश्ते रहे आज "निश्चल" ,
होकर म्यानों से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
आज अंजानों से ।
हसरतों की चाहत में ,
खो गए पहचानों से ।
रीतते ज्यों नीर से ,
नीरद असमानों से ,
बरसने की चाह में ,
ग़ुम हुए निशानों से ।
घिरती रही जिंदगी ,
अक़्सर उलाहनों से ।
होती रही लाचार ,
घिरकर फ़सानो से ।
घटते नही आज,
फांसले दिल के ,
रिश्ते रहे आज "निश्चल" ,
होकर म्यानों से ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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