गुरुवार, 26 जुलाई 2018

रिश्ते रहे आज म्यानों से ।

ना रहे याद हम , 
आज अंजानों से ।

       हसरतों की चाहत में ,
        खो गए पहचानों से ।

 रीतते ज्यों नीर से ,
 नीरद असमानों से ,

         बरसने की चाह में ,
         ग़ुम हुए निशानों से ।

  घिरती रही जिंदगी ,
 अक़्सर उलाहनों से ।

           होती रही लाचार ,
          घिरकर फ़सानो से ।

 घटते नही आज,
 फांसले दिल के ,

            रिश्ते रहे आज "निश्चल" ,
            होकर म्यानों से ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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