गुरुवार, 26 जुलाई 2018

बस लिखता चल

बस लिखता चल जो मन कहता है ।
काव्य काल कब भाषा में रहता है ।

सृजित हुआ सदा यह मन से ,
 हृदय भाव मन ही कहता है ।

काव्य काल कब भाषा में रहता है ।

बदला नही कभी किसी भाषा में ,
यह समय सदा समय रहता है ।

 चला सदा लाँघ कर सीमाएं सारी ,
 देश काल भाषा के परे मन बहता है ।

काव्य काल कब भाषा में रहता है ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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