नशा मेरा बाखूब हुआ ।
इश्क़ तेरा मंसूब हुआ ।
डूबता रहा किनारों पे ,
तमाशा यह खूब हुआ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
शरारत हो जाए जरा जरा ।
यूँ रात गुजर जाए जरा जरा ।
टूटकर पैमाने साक़ी के हाथों से ,
रिंद से बिखर जाएं जरा जरा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
जिंदगी तो लौट कर फिर आती है ।
खुशियों को नज़र क्यों लग जाती है ।
.... "निश्चल"@..
Blog post 22/7/18
इश्क़ तेरा मंसूब हुआ ।
डूबता रहा किनारों पे ,
तमाशा यह खूब हुआ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
शरारत हो जाए जरा जरा ।
यूँ रात गुजर जाए जरा जरा ।
टूटकर पैमाने साक़ी के हाथों से ,
रिंद से बिखर जाएं जरा जरा ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
जिंदगी तो लौट कर फिर आती है ।
खुशियों को नज़र क्यों लग जाती है ।
.... "निश्चल"@..
Blog post 22/7/18
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