रविवार, 22 जुलाई 2018

मुक्तक

आज कुछ लिखा ना गया ।
आज कुछ कहा ना गया ।
सुनता रहा मैं खमोशी से ,
जो सवाल मुझे कहा ना गया ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...

वो जाम सा अंजाम था ।
निग़ाहों से अपनी हैरान था ।
नही था कोई रिंद वो साक़ी,
जिंदगी उसका ही नाम था ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...


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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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