शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

कुछ ख्याल


   
       आइना तू सवार दे मुझे ।
        मैं कुछ निहार लूँ तुझे ।।
          .....विवेक®...


साजिशों से डरा नही
 आंधियो में झुका नही
 सहा हर तूफ़ान 
  अपना सीना तान 
    ...विवेक...



हौंसलो से हुनर मुक़ाम पता है ।
मुसाफ़िर अकेला थक जाता है ।।
...विवेक...

काश! आइनों के लव न सिले होते
 काश! आईने भी बोल रहे होते
 तब,आईने में झांकने से पहले 
 हम,सौ सौ बार सोच रहे होते 
      ...विवेक....




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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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