शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

आजाओ घनश्याम


तू आया तब था ।
नष्ट हुआ सा जब सब था ।
तू तो तब सब सुधार गया था ।
न भय न भृष्टाचार रहा था ।
तू ने पाप व्यभिचार मार दिया था ।
 गीता से सब को तब तार गया था ।
समय बदला युग बदला ।
आये फिर दानब लेने बदला ।
आज फिर मचा कोहराम ।
बही कंस बकासुर पूतना कौरव ।
करते अत्याचार सरे आम ।
धरती कांपी अम्बर डोला ।
हुआ त्रस्त हर इंसान ।
 बहुत हुआ पाप अनाचार ।
अब तो आ जाओ तुम ।
 धनश्याम ....
 ...विवेक...

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