शनिवार, 23 दिसंबर 2017

सियासत की बिसात

सियासत की बिसात पर ।
  चलते चाल हर बात पर ।
  प्यादों की क्या बात करें ,
  राजा भी लगते दाव पर ।
   .... 


 राजनीति की कमान से,
 मज़हब के तीर हटाना होगा ।
 राष्ट्र बचाना होगा ,
 मानबता को जगाना होगा ।। 
 चलते सब एक राह एक ही पथ पर ,
 पग से पग मिलाना होगा ।
 मुड़ती अपनी अपनी हर राहों को ,
 राष्ट्र भक्ति के चौराहे पर लाना होगा ।
  राष्ट्र बचाना होगा ,
   मानबता को जगाना होगा ।।
   ..... विवेक दुबे"निश्चल"@....

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