शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

मृग मरीचिका


जीवन की इस
मृग मरीचिका का
आकर्षण।
तेरा मन, मेरा मन,
यह पागलपन ।
कैसी यह
मन की ,मन से उलझन ।
तेरा मन, मेरा मन ,
घटती धड़कन 
बढ़ती धड़कन ।
उठती साँसे ,
गिरती साँसे 
सूनी आँखे ,
नेह नीर भरी आँखे ।
कैसे सुलझे 
यह उलझन ,
तेरा मन, मेरा मन ।
.....विवेक...

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