शनिवार, 21 जुलाई 2018

सायली छंद

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सायली छंद 

कलि 
अनखिली थी 
 मसल गया वो
 हवस का
 दरिंदा ।

पुजारी 
सत्ता के
बैठे खामोशी से
बस पिसती 
जनता 

पुजारी 
राम के
लाते राम राज्य
पर रावण
 भारी 

पूजन
मंचों पर 
 कन्या चरणों का
 लुट रही
 नारी 

अनाचार
बढ़ रहे 
दिन प्रति दिन
और निरीह
 सरकार

 हितैसी
 स्वार्थ के 
 ख़ातिर वोटों की
 बस करते
 व्यापार 

... विवेक दुबे"निश्चल"@.

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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