एक सा कोई न हुआ जमाने मे।
कुछ नया होता है हर फ़साने मे।
टूटता है कोई दिल लगाने में ।
लूटता है कोई दिल बहलाने में ।
साहिल ही जूझता है बचाने में।
दरिया तो लगा है साथ बहाने में।
बिन साहिल दरिया नही जमाने मे ।
टूटता है साहिल दरिया बनाने में ।
....विवेक दुबे °©....
ब्लॉग पोस्ट 7/10/17
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