शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

खोज


अनन्त अंतरिक्ष को खोजता मैं।
 कौन हूँ क्यों हूँ यही सोचता मैं।

 इस स्वार्थ से परे भी क्या कुछ है ,
 यही प्रश्न खुद से खुद पूछता मैं।

उत्तर मिले कुछ उत्तर कुछ शेष ।
 खोजना है जब तक साँसे शेष।
 .....विवेक दुबे ...©


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