रविवार, 1 अक्तूबर 2017

अपना वतन


ज़माने का एक यह भी चलन देखा है ।

मयस्सर नही ढकने मिटटी को ,
बो कफन देखा है ।

बचपन बीन कर खता जिसको ,
बो जूठन देखा है ।

झांकता योवन फटे कपड़ो से ,
बो तन देखा है ।

यह भी है मेरा वतन ,
हाँ मैंने अपना वतन देखा है ।

.......विवेक दुबे©...

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