रविवार, 1 अक्तूबर 2017

पलकें


 चुप रहने का भी ,
 हुनर सिखाती पलकें।

                  चुप रह कर भी,
                   सब कह जातीं पलकें ।

  शब्द गुंजातीं साँसों में ।
  नज़र आते आँखों में ।

               उठती पलकें ,गिरती पलकें ।
               भींगी पलकें, सूखी पलकें ।

 शून्य में कुछ लिखती पलकें ।
  भावों को बरसाती पलकें ।

       .....विवेक दुबे ....


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