सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

ज़िन्दगी


 ज़िन्दगी ___
------------------------------------
आशाओं संग यह अभिलाषाओं से हारी है ।
नित् नए स्वप्न सजा यह दुल्हन सी साजी है ।
हो रहे पग , पग पग घायल घुंघरू बाँधे बाँधे , 
घुँघरू की थिरकन पर यह घुँघरू सी बाजी है ।
अभिलाषाओं संग यह रक्कासा सी नाची है।
.....  विवेक दुबे ©......




कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...