बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

नैतिकता


         *आज का विषय नैतिकता*

हो रहे नैतिक पतन मूल्यों के ।
 स्कूल खुले है धन मूल्यों के ।

 अध्याय हटे नैतिक शिक्षा के ।
 पाठ बस रहे पश्च्यात शिक्षा के । 


   अब पाठ पढ़ाते जिस विद्या से ।
 चाकर बनते बस उस विद्या से।
  जीते फिर सब धन लोलुपता से ।
 दूर हुए अब सब मानवता से ।


  हाय व्यवस्था हाय नितियाँ ।
 ओढे चहरे सब नैतिकता के ।
 चाट रहे सभ्य सभी नैतिकता।
 प्राचीन धरोहर कीड़े दीमक के ।

 ...... विवेक दुबे©......



            नैतिकता पढ़ी कभी किताबों में ।
         नैतिकता मिलती नही बाज़ारों में ।
          सुनते आए किस्से बड़े सयानों से,
           यह मिलती घर आँगन चौवरो में ।
                ...... *विवेक दुबे* ©.....
          

                    




              






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