शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

वो







          कर सांठ गांठ अपनो से वो।
 खेले अपनो के सपनो से वो ।
 दिखा मधुर दिवा स्वप्न सलोने ,
 कहते हमसे अपना होने को वो ।
  .... विवेक दुबे©.....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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