बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

पिपासा


निग़ाह उठी इस आशा से  ।
 देखे अंबर अभिलाषा से ।
 कुछ पूछ रही धरती जैसे ,
 अपनी प्रणय पिपासा से ।


  लिखता कलमकार इस आशा से ।
 कोई पढ़कर समझे अर्थ पिपासा से ।
 उतरे सागर शब्द गहरे तल में ,
 खोजे शब्द अर्थ मोती सच्चे से ।


   ..... विवेक दुबे©...

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