गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

शरद चाँदनी


 शरद सुधाकर भरा सुधा जल से ।
 उज्वल धवल किरणों संग से ।
  छाया अपने पूरे योवन संग ,
  छलकाता सोम पीयूष गगन से।
  ...... विवेक दुबे ©.....


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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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