न यह मन कचोटता है ।
न यह दिल ममोसता है ।
चलता था उजालों सँग ,
साँझ सँग जीवन लौटता है ।
क्या पाया क्या खोया ,
हाथ नही अब कुछ ।
जीवन सँग यादों के ,
बस यादों में लौटता है ।
.....
लिखकर सवाल पूछता है ।
हिसाब का हिसाब पूछता है ।
याद न हुए हिसाब कभी ,
जीवन दो का भाग पूछता है।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
उस खर्च का हिसाब न रहा ।
मुझे इतना इख़्तियार रहा ।
सम्हालता रहा लम्हा लम्हा ,
बे-इन्तेहाँ वो इंतज़ार रहा
..
लिखकर सवाल पूछते है ।
हिसाब का हिसाब पूछते है ।
आता नही पहाड़ा हमे ,
हमसे दो का भाग पूछते है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
सिखाता रहा वो इश्क़ मुझे बार बार ।
गिरता रहा मैं इश्क़ राह बार बार ।
टूटता न था दिल उस संग की चोट से ,
होता रहा अपनी निग़ाह से जार जार ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
...
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