मंगलवार, 27 मार्च 2018

खर्च का हिसाब कुछ मुक्तक


न यह मन कचोटता है ।
न यह  दिल ममोसता है ।
 चलता था उजालों सँग ,
 साँझ सँग जीवन लौटता है ।

  क्या पाया क्या खोया ,
  हाथ नही अब कुछ ।
  जीवन सँग यादों के ,
 बस यादों में लौटता है ।
 ..... 

लिखकर सवाल पूछता है ।
 हिसाब का हिसाब पूछता है ।
  याद न हुए हिसाब कभी  ,
 जीवन दो का भाग पूछता है।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

उस खर्च का हिसाब न रहा ।
 मुझे इतना इख़्तियार रहा ।
 सम्हालता रहा लम्हा लम्हा ,

 बे-इन्तेहाँ वो इंतज़ार रहा
 ..



लिखकर सवाल पूछते है ।
 हिसाब का हिसाब पूछते है ।
 आता नही पहाड़ा हमे ,
 हमसे दो का भाग पूछते है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

सिखाता रहा वो इश्क़ मुझे बार बार ।
 गिरता रहा मैं इश्क़ राह बार बार ।
 टूटता न था दिल उस संग की चोट से ,
 होता रहा अपनी निग़ाह से जार जार ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...

...

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