हर एक की एक समस्या है।
हर एक की एक अवस्था है।
सुलझा रहा ज़िंदगी के प्रश्नों को,
सबकी अपनी अपनी व्यस्तता है।
बून्द बून्द कर दिन कटता है।
पल प्रति पल कुछ घटता है।
कुछ बढ़ जाए कि चिंता में,
जीवन तो घटता ही घटता है।
दवा उम्र की दुआ हो जाती है ।
बोतल खाली फ़ना हो जाती है ।
(फ़ना- नष्ट/ लीन होना)
.….विवेक दुबे"निश्चल"@....
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