ज़िंदगी भी , एक किताब है ।
दो लाइन का, बस हिसाब है ।
...
कुछ लिखें अपना , कुछ कहें अपना।
सत्य नही ज़ीवन , ज़ीवन एक सपना।
...
ज़ीवन की बस , इतनी परिभाषा है।
ज़ीवन तो बस , कटता ही जाता है।
....
पतझड़ नही वसंत हो ज़िंदगी ।
अन्त नही आरम्भ हो ज़िंदगी ।
---
लाभ हानि के खाते , लिखते सब ।
लोग नही मिलते , बे-मतलब अब ।
---
होता रहता हरदम , कुछ न कुछ।
वक़्त सीखाता हरदम , कुछ न कुछ।
---
यह सफर विकल्प से , संकल्प तक का ।
लगता सारा जीवन , सफर दो पग का।
..
तपता रहा उम्र भर , कुंदन सा हो गया ।
भाया न दुनियाँ को , खुद भी खो गया ।
..
पथिक थक जाएगा ,मंजिल पा जाएगा ।
छोड़े पद चिन्हों का,इतिहास बनाएगा ।
....
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
दो लाइन का, बस हिसाब है ।
...
कुछ लिखें अपना , कुछ कहें अपना।
सत्य नही ज़ीवन , ज़ीवन एक सपना।
...
ज़ीवन की बस , इतनी परिभाषा है।
ज़ीवन तो बस , कटता ही जाता है।
....
पतझड़ नही वसंत हो ज़िंदगी ।
अन्त नही आरम्भ हो ज़िंदगी ।
---
लाभ हानि के खाते , लिखते सब ।
लोग नही मिलते , बे-मतलब अब ।
---
होता रहता हरदम , कुछ न कुछ।
वक़्त सीखाता हरदम , कुछ न कुछ।
---
यह सफर विकल्प से , संकल्प तक का ।
लगता सारा जीवन , सफर दो पग का।
..
तपता रहा उम्र भर , कुंदन सा हो गया ।
भाया न दुनियाँ को , खुद भी खो गया ।
..
पथिक थक जाएगा ,मंजिल पा जाएगा ।
छोड़े पद चिन्हों का,इतिहास बनाएगा ।
....
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें