शांत मन बिश्रान्त मन ।
क्लांत मन आक्रांत मन ।
नीरव सा निराम मन ।
एक समर संग्राम मन ।
व्यग्र मन भ्रांत मन ।
तरंग मन उमंग मन ।
सजता चलता मन ,
थकता रुकता मन ।
दूर तिमिर तक मन ,
आता फिर जाता मन ।
दूर प्रकाश भी पाता मन ।
छूकर भी छू न पाता मन ।
उलझन में बस मन ।
तेरा मन मेरा मन ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
क्लांत मन आक्रांत मन ।
नीरव सा निराम मन ।
एक समर संग्राम मन ।
व्यग्र मन भ्रांत मन ।
तरंग मन उमंग मन ।
सजता चलता मन ,
थकता रुकता मन ।
दूर तिमिर तक मन ,
आता फिर जाता मन ।
दूर प्रकाश भी पाता मन ।
छूकर भी छू न पाता मन ।
उलझन में बस मन ।
तेरा मन मेरा मन ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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