गुरुवार, 29 मार्च 2018

अहसास

अहसास चाहते ठहराना नही ।
 यह ख़्वाब मेरा साहिल नही ।

 न बह तू मौजों में दरिया की,
 रवानी समन्दर सी यहाँ नही  ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...



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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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